नर्मदा को चीर कुंवारी नदी क्यों कहा जाता है

हमारे देश में नदियों को ‘माता’ का रूप माना जाता है। यही वजह है कि कई जगह नदियों की आज पूजा तक की जाती है। लेकिन यदि हम सबसे पवित्र नदी की बात करें तो वह मां नर्मदा मानी जाती है।
शायद इसीलिए नर्मदा को चिर कुंवारी नदी भी कहा जाता है। लेकिन यदि आप अभी तक नहीं जानते हैं कि नर्मदा को चीर कुंवारी नदी क्यों कहा जाता है तो हमारे इस लेख को अंत तक पढि़ए। अपने इस लेख में चिर कुंवारी के पीछे की पूरी मान्यता बताएंगे।
नर्मदा नदी कहां है?
नर्मदा को चीर कुंवारी नदी क्यों कहा जाता है इसके बारे में हम आपको जानकारी दें इससे पहले आइए एक बार हम आपको जानकारी दें कि नर्मदा नदी कहां बहती है। तो हम आपको बता दें यह दक्षिण भारत की एक प्रमुख नदी है। जो कि मध्य प्रदेश की तरह से जीवन दायिनी है।
नर्मदा नदी को उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक तरह से पारंपरिक सीमा रेखा का काम भी करती है। यह नदी अमरकंटक से निकलती और 1,312 किलोमीटर तक देश की सीमा रेखा के अंदर बहती है। जिसमें यह 1,077 किलोमीटर मध्य प्रदेश में, 74 किलोमीटर महाराष्ट्र में और 161 किलोमीटर गुजरात में बहती है। इसके बाद यह अरब सागर में जाकर गिर जाती है। गोदावरी और कृष्णा के बाद नर्मदा भारत के अंदर ही बहने वाली तीसरी सबसे बड़ी नदी नर्मदा ही है।
नर्मदा को चीर कुंवारी नदी क्यों कहा जाता है?
आइए अब हम आपको नर्मदा को चीर कुंवारी नदी क्यों कहा जाता है इसके पीछे की कहानी बताते हैं। जो कि बेहद ही दिलचस्प और रोचक कथा है। माना जाता है कि इसी कथा को ध्यान में रखकर ही नर्मदा और आज भी चीर कुंवारी कहा जाता है।
‘चिर कुंवारी’ के पीछे की कथा
नर्मदा को चीर कुंवारी नदी क्यों कहा जाता है इसके पीछे की कथा है कि माता नर्मदा जब लड़की थी तो उनके पिता राजा मेंकल ने उनके विवाह के लिए एक शर्त रखी। शर्त ये थी कि जो भी लड़का एक दुर्लभ फूल को तोड़कर या किसी और तरह से मेरे पास लेकर आएगा उसी से मैं नर्मदा का विवाह करूंगा। ठीक इसी से मिलती जुलती शर्त रामायण में भी आपने देखी होगी।
इसके बाद एक सोनभद्र नामक इंसान उस फूल को लेकर आ जाता है। और नर्मदा का विवाह उसी सोनभद्र से तय हो जाता है। लेकिन विवाह तय होने पर नर्मदा को केवल उसका नाम मात्र बताया गया था। लेकिन समय बीतने के साथ नर्मदा सोनभद्र का साहस और प्रताप के किस्से सुनती रहती थी। जिससे पता चलता था कि वो कितना साहसी इंसान है।।
ऐसे में जैसे ही विवाह का समय करीब आने वाला हुआ तो नर्मदा से रहा ना गया और उसने अपनी दासी जाहिला को एक बार सोनभद्र से मिलने के लिए भेज दिया। ताकि वो उनसे मिलकर कुछ और जानकारी जुटा लाए। जब दासी राजा सोनभद्र से मिलने जा रही थी तो नर्मदा ने उसे अपने गहने और कपड़े पहनने को दिए थे। ताकि वो दासी की तरह ना लगे।
इसके बाद कहा जाता है कि नर्मदा की दासी जैसे ही सोनभद्र के पास पहुंची तो सोनभद्र उसे देखकर बेहद प्रभावित हुआ और वो समझ नहीं पाया कि यह नर्मदा है या उसकी दासी है। लिहाजा वो उसी के साथ अपने प्रेम संबध बना बैठा। नर्मदा की दासी जोहिला भी इतने बड़े राजा को अपने प्रेम मोह में पड़ता देख कह ना सकी कि वो नर्मदा की ‘दासी’ है।
इसके बाद जब कुछ दिन बाद भी दासी नहीं आई तो नर्मदा ने खुद वहां जाने का फैसला किया। इसके बाद जैसे ही नर्मदा वहां पहुंचती है तो दासी और सोनभद्र के संबधों को खुद की आंखों से देख लेती है। बस फिर नर्मदा इस धोखे को सहन ना कर सकी और तुरंत वहां से उल्टे पैर वापिस चली गई। साथ ही नर्मदा ने ये प्रण कर लिया कि वो अब कभी विवाह नहीं करेगी। यानि उम्र भर कुंवारी ही रहेंगी। इसके बाद राजा सोनभद्र को अपनी गलती का अहसास हुआ पर नर्मदा अपने संकल्प की पक्की थी। लिहाजा वो कुंवारी ही रही। नर्मदा को चीर कुंवारी नदी क्यों कहा जाता है शायद अब आप समझ गए होंगे।
नर्मदा नदी के बारे में रोचक तथ्य
कहा जाता है कि मां गंगा नदी में नहाने से इंसान के सारे पाप धुल जाते हैं। इस तरह से देखा गया है कि गंगा नदी आज खुद मैली हो गई है। इसलिए गंगा नदी खुद अपने मैल को दूर करने के लिए नर्मदा नदी में स्नान करने आती है। जो कि साल में एक बार होता है।