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चाय पर बेहतरीन शायरी |
चाय पर बेहतरीन शायरी
चाय दूसरी एसी चीज़ है, जिससे आंखें खुलती है, धोखा अभी भी पहले नम्बर पर है..!!
लहजा जरा ठंडा रखे जनाब, गर्म तो हमे सिर्फ चाय पसंद है..!!
एक तेरा ख़्याल ही तो है मेरे पास, वरना कौन अकेले में बैठे कर चाय पीता है..!!
कैसे कहे कोई नहीं है हमारा, शाम की चाय रोज बेसब्री से इंतज़ार जो करती है..!!
हर रोज़ होता है मुझे इश्क़ तुमसे, तुम मेरी सुबह की पहली चाय से हो गए हो..!!
ना इश्क़, मोहब्ब्त और प्यार, और ना ही किसी का दीदार, हमे तो पसन्द है अपने दोस्तों के साथ वो कुल्हड़ वाली चाय..!!
फिर भी ख्याल रखना अपना, मेरे चले जाने के बाद, कौन चाय पिलायेगा तुझे यू हमसे बिछड़ने के बाद..!!
महंगाई ने आशिकों को मार रखा है, ये चाय ही है, जिसने अभी तक संभाला हुआ है..!!
एक कप चाय के साथ, हाथों में तेरा हाथ हो, मन में भोलेनाथ का नाम हो और आँखे खुलते ही सामने केदारनाथ हो..!!
मैंने देखा ही नहीं कोई मौसम, मैंने चाहा है तुम्हें चाय की तरह..!!
चाय के बाद दूसरा रंग तुम्हारा है, जो मुझे साॅवला अच्छा लगता है..!!
चाय बनने से लेकर ग्लास में भरने तक का वक़्तबड़ा ही बैचैनी से भरा होता है..!!
एक तेरा सांवला रंग और एक ये चाय दोनों एक दिन मेरी जान लेकर रहेंगे..!!
शोहरत, न तालियों का मुझे शोर चाहिए, नुक्कड़ पे चाय मिल गयी क्या और चाहिए..!!
वो पल भी कोई पल है, जिस पल में तेरा एहसास न हो, वो चाय फिर चाय कैसी जिसमें तेरे होंठो सी मिठास न हो..!!
चाय की चुस्कियों में यादों को डुबाया करो, ये दुनिया की बातों को खामखां दिल से ना लगाया करो..!!
हाथ में चाय और यादों में आप हो, फिर उस खुशनुमा सुबह की क्या बात हो..!!
उसे पसंद नही मेरा चाय से रिश्ता, इसलिए अब चाय और मै छुप छुप के मिला करते है..!!
चाय से हमेशा मोहब्बत थी, है और हमेशा रहेगी, चाहे पूरी दुनिया कॉफी के लिए मर मिटे..!!
ये चाय की आदत, तुम्हारा दूर जाना और एक ये तन्हाई कम्ब्ख्त, जिन्दगी बर्बाद करने का काफी इंतेजाम है..!!
हलके में मत लेना तुम सावले रंग को, दूध से कहीं ज्यादा देखे है मैंने शौक़ीन चाय के..!!
बैठ जाता हूँ मैं अक्सर वहा, चाय की खुशबु आ रही हो जहा..!!
छोटी सी ही सही एक ऐसी मुलाकात हो, हम तुम चाय और हल्की से बरसात हो..!!
उजड़ी हुई बस्तियों में किसे ढूंढ रहे हो जनाब, प्यार में पागल लोग अक्सर चाय के ठिकाने पे मिला करते है..!!
ज़िन्हे चाय से लगाव होता है, उसके दिल में जरूर घाव होता हैं..!!
कल रात मैने एक हसीन ख्वाब देखा, खुद को चाय की टपरी पर तेरे साथ देखा..!!
सांवला है रंग, थोड़ा कड़क मिजाज है, सुनो तुम पसंद हो हमे तुम्हारा चाय सा स्वाद है..!!
कमबख़्त हसीन मौसम था, वो थी और थी चाय, मोहब्बत लाज़मी थी, बचने का न था कोई उपाय..!!
चाय भी इश्क़ जैसी है, जिसकी आदत पड गयी वो कभी छुटती ही नहीं..!!
ऐसी एक चाय, सबको नसीब हो, हाथ में कप हो और, सामने मेहबूब हो..!!
गर्म चाय के साथ थोड़ा गम भी पीता हुँ, थोडी मिठास कम है जिंदगी में मगर सान से जिता हू..!!
चाय सा इश्क किया है, तुम लोगों से ना मिलो तो सर में दर्द सा रहता है..!!
तुम चाय जैसी मोहब्बत तो करो, हम बिस्कुट की तरह ना डूब जाए तो कहना..!!
क्या बताऊं उसकी बातें कितनी मीठी हैं, सामने बैठ के फीकी चाय पीता रहता..!!
कदम वही रुक जाते है जहाँ कोई कहा दे, कि रुक तो Chai बन रही है पी कर जा..!!
इश्क़ और सुबह की चाय दोनों एक समान होती हैं, हर बार वही नयापन, हर बार वही ताज़गी..!!
चाय और चरित्र जब भी गिरते है, दाग दे ही जाते है..!!
नही आता हमे अपने दर्द का दिखावा करना, अब तो अकेले चाय पीने की आदत सी हो गयी है..!!
जिसका हक है उसी का रहेगा, मोहब्बत कोई चाय नहीं जो सब को पिला दें..!!
इश्क़ के धुएं से इश्क़ नही करना हमे, कम्भख्त चाय बुरा मान जाएगी..!!
बैठे चाय की प्याली लेकर पुराने किस्से गरम करने चाय ठंङी होती गई और आंखें नम..!!
सर्दियों के बस दो ही जलवे, तुम्हारी याद और चाय..!!
एक अजीम तोहफा है चाय भी, सिर्फ ये बात चाय पीने वाले ही जानते है..!!
एक कप चाय दो दिलों को मिला देती है, एक कप चाय दिन भर की थकान मिटा देती है..!!
ज़िन्दगी वही जीते है, जो गर्मी में भी चाय पीते है..!!
दोबारा गर्म की हुई चाय और समझौता किया हुआ रिश्ता, दोनों में पहले जैसी मिठास कभी नही आती..!!
छोड़ जमाने की फ़िक्र यार, चल किसी नुक्क्ड़ पे चाय पीते है..!!
हाथ में चाय और यादों में आप हो, फिर उस खुशनुमा सुबह की क्या बात हो..!!
मुझे तुमसे इश्क़ तो बोहत है, मगर तुम्हारा ये चाय को पसंद ना करना हमे बिलकुल पसंद नही आता..!!
वो चाय बहुत अच्छी बनाती है, एक यही वजह काफी है उससे मोहब्बत करने के लिए..!!