Rahat Indori Shayari In Hindi || राहत इंदौरी की शायरी || राहत इंदौरी की शायरी हिंदी में || राहत इंदौरी की मशहूर शायरी
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Rahat Indori Shayari In Hindi |
नमस्कार दोस्तों, Dynamo Shayari में आपका हार्दिक स्वागत है। मैं हूँ आपका प्यारा दोस्त विकास यादव। तो मेरे प्यारे दोस्तों आज की पोस्ट में हम बात करने जा रहे हैं – Rahat Indori Shayari In Hindi, Rahat Indori Shayari In Hindi Font, Rahat Indori Best Shayari In Hindi, Dr Rahat Indori Shayari In Hindi, Shayari Of Rahat Indori In Hindi, Shayari By Rahat Indori In Hindi, राहत इंदौरी की शायरी, राहत इंदौरी की शायरी हिंदी में, राहत इंदौरी की मशहूर शायरी, राहत इंदौरी शायरी की। तो चलिए शुरू करते हैं।
Rahat Indori Shayari In Hindi
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पे वार करो, मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो, फूलों की दुकानें खोलो, ख़ुशबू का व्यापार करो, इश्क़ ख़ता है तो ये ख़ता एक बार नहीं सौ बार करो। ❣❣❣❣
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं, कभी धुए की तरह परबतों से उड़ते हैं, ये कैंचियाँ हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगी, के हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं… ❣❣❣❣
छू गया जब कभी ख़याल तेरा, दिल मेरा देर तक धड़कता रहा। कल तेरा जिक्र छिड़ गया था घर में, और घर देर तक महकता रहा। ❣❣❣❣
हर एक हर्फ का अन्दाज बदल रक्खा है, आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रक्खा है, मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया, मेरे कमरे में भी एक ताजमहल रक्खा है। ❣❣❣❣
मैंने दिल दे कर उसे की थी वफ़ा की इब्तिदा, उसने धोखा दे के ये किस्सा मुकम्मल कर दिया, शहर में चर्चा है आख़िर ऐसी लड़की कौन है, जिसने अच्छे खासे एक शायर को पागल कर दिया। ❣❣❣❣
जा के ये कह दो कोई शोलो से, चिंगारी से, फूल इस बार खिले है बड़ी तय्यारी से, बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए, हमने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से। ❣❣❣❣
कही अकेले में मिलकर झंझोड़ दूँगा उसे, जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे, मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का, इरादा मैंने किया था की छोड़ दूँगा उसे। ❣❣❣❣
ज़ुबाँ तो खोल नज़र तो मिला जवाब तो दे, मैं कितनी बार लूटा हूँ मुझे हिसाब तो दे। ❣❣❣❣
लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यूँ है, इतना डरते है तो घर से निकलते क्यूँ है। ❣❣❣❣
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम, आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे ❣❣❣❣
आँखों में पानी रखो होठों पे चिंगारी रखो, जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो। ❣❣❣❣
एक ही नदी के है यह दो किनारे दोस्तो, दोस्ताना ज़िन्दगी से, मौत से यारी रखो। ❣❣❣❣
फूक़ डालूगा मैं किसी रोज़ दिल की दुनिया, ये तेरा ख़त तो नहीं है की जला भी न सकूं। ❣❣❣❣
प्यास तो अपनी सात समन्दर जैसी थी, ना हक हमने बारिश का अहसान लिया। ❣❣❣❣
मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को, समझ रही थी की ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे। ❣❣❣❣
नये किरदार आते जा रहे है, मगर नाटक पुराना चल रहा है। ❣❣❣❣
उस की याद आई है, साँसों ज़रा आहिस्ता चलो, धड़कनो से भी इबादत में ख़लल पड़ता है। ❣❣❣❣
मैं वो दरिया हूँ की हर बूंद भँवर है जिसकी, तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके। ❣❣❣❣
दो ग़ज सही ये मेरी मिल्कियत तो है, ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया। ❣❣❣❣
ना हम-सफ़र ना किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा। ❣❣❣❣
बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाय। ❣❣❣❣
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है अंन्धेरे में निकल पड़ता है। ❣❣❣❣
अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं, पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं। ❣❣❣❣
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता, यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थ। ❣❣❣❣
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया, घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है। ❣❣❣❣
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें, जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें। ❣❣❣❣
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए, काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए। ❣❣❣❣
इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है, नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं। ❣❣❣❣
मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए, और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं। ❣❣❣❣
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे, मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे। ❣❣❣❣
फूलों की दुकाने खोलो, खुसबू का व्यापार करो, इश्क़ खता है तो, इसे एक बार नहीं सौ बार कर। ❣❣❣❣
फूक़ डालूगा मैं किसी रोज़ दिल की दुनिया, ये तेरा ख़त तो नहीं है की जला भी न सकूं। ❣❣❣❣
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं है, आँधी से कोई कह दे आँधी से के औकात में रहे। ❣❣❣❣
लोग हर मोड़ पे रूक रूक के संभलते क्यूँ है, इतना डरते है तो घर से निकलते क्यूँ है। ❣❣❣❣
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे, कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते। ❣❣❣❣
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे, नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो। ❣❣❣❣
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है। ❣❣❣❣
सिर्फ खंजर ही नहीं आंखों में पानी चाहिए, ए खुदा दुश्मन भी मुझको खानदानी चाहिए। ❣❣❣❣
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना, हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना। ❣❣❣❣
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे, जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे। ❣❣❣❣
आग के पास कभी मोम को लाकर देखूं, हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूं। ❣❣❣❣
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए, पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए। ❣❣❣❣
सब प्यासे हैं सबका अपना ज़रिया है, बढ़िया है, हर कुल्हड़ में छोटा-मोटा दरिया है, बढ़िया है। ❣❣❣❣
सलिक़ा जिनको सिखाया था हमने चलने का, वो लोग आज हमें दायें-बायें करने लगे। ❣❣❣❣
जो तौर है दुनिया का उसी तौर से बोलो, बहरों का इलाक़ा है ज़रा ज़ोर से बोलो। ❣❣❣❣
इसे तूफां ही किनारे से लगा देते हैं, मेरी कश्ती किसी पतवार की मोहताज नहीं। ❣❣❣❣
शहरों में बारूदों का मौसम है, गांव चलो ये अमरूदों का मौसम है। ❣❣❣❣
अंतिम शब्द
