Maut Shayari in Hindi || मौत शायरी || Death Shayari

Maut Shayari in Hindi || मौत शायरी || Death Shayari

मौत शायरी
मौत शायरी

नमस्कार दोस्तों, ✍️ Dynamo Shayari में आपका हार्दिक स्वागत है। मैं हूँ आपका प्यारा दोस्त विकास यादव। तो मेरे प्यारे दोस्तों आज की पोस्ट में हम बात करने जा रहे हैं –  Maut Shayari in Hindi, Death Shayari, Death Shayari in Hindi, Maut Shayari, मौत शायरी की। तो चलिए शुरू करते हैं।

Death Shayari

कोई नहीं आएगा मेरी जिदंगी में तुम्हारे सिवा,  बस एक मौत ही है जिसका मैं वादा नहीं करता..!!

जिसकी याद में सारे जहाँ को भूल गए,  सुना है आजकल वो हमारा नाम तक भूल गए,  कसम खाई थी जिसने साथ निभाने की यारो,  आज वो हमारी लाश पर आना भूल गए..!!

इश्क कहता है मुझे इक बार कर के देख,  तुझे मौत से न मिलवा दिया तो मेरा नाम बदल देना..!!

तमन्ना ययही है बस एक बार आये,  चाहे मौत आये चाहे यार आये..!!

जनाजा रोक कर मेरा,   वो इस अंदाज़ से बोले,  गली हमने कही थी तुम तो दुनिया छोड़े जाते हो..!!

जिन्दगी जख्मो से भरी है वक्त को मरहम बनाना सीख लो,  हारना तो है एक दिन मौत से फिलहाल जिन्दगी जीना सीख लो..!!

मौत-ओ-हस्ती की कशमकश में कटी उम्र तमाम,  गम ने जीने न दिया शौक ने मरने न दिया..!!

दो गज़ ज़मीन सही मेरी मिल्कियत तो है,  ऐ मौत तूने मुझको ज़मींदार कर दिया..!!

लम्बी उम्र की दुआ मेरे लिए न माँग,  ऐसा न हो कि तुम भी छोड़ दो और मौत भी न आये..!!

चले आओ मुसाफिर आख़िरी साँसें बची हैं कुछ,  तुम्हारी दीद हो जाती तो खुल जातीं मेरे आँखें..!!

अपने वजूद पर इतना न इतरा ए ज़िन्दगी,  वो तो मौत है जो तुझे मोहलत देती जा रही है..!!

तुम दर्द भी हो मेरा और दर्द की दवा भी हो,  मेरी मौत का कारण भी हो तुम,   जीने की वजह भी हो,  खुली नज़रो से तुम दूर हो बहुत मुझसे,  बंद आँखों में हर जगह मेरे पास भी हो तुम..!!

किसी कहने वाले ने भी क्या खूब कहा है कि,  मेरी ज़िन्दगी इतनी प्यारी नहीं की मैं मौत से डरूं..!!

आखिरी दीदार कर लो खोल कर मेरा कफ़न,  अब ना शरमाओ कि चश्म-ए-मुन्तजिर बेनूर है..!!

कोई नही आएगा मेरी जिदंगी में तुम्हारे सिवा,  बस एक मौत ही है जिसका मैं वादा नही करता..!!

इक तुम हो जिसे प्यार भी याद नहीं,  इक में हूँ जिसे और कुछ याद नहीं,  ज़िन्दगी मौत के दो ही तो तराने हैं,  इक तुम्हें याद नहीं इक मुझे याद नहीं..!!

इतनी शिद्दत से चाहा उसे की खुद को भी भुला दिया,  उनके लिए अपने दिल को कितनी ही बार रुला दिया,  एक बार ही ठुकराया उन्होंने,  और हमने खुद को मौत की नींद सुला दिया..!!

मौत ने चुपके से ना जाने क्या कहा,  और जिंदगी खामोश हो कर रह गयी..!!

आई होगी किसी को हिज्र में मौत मुझ को तो नींद भी नहीं आती..!!

कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगी,  मैं तो नदी हूँ समुंदर में उतर जाऊँगी..!!

अपनी मौत भी क्या मौत होगी,  एक दिन यूँ ही मर जायेंगे तुम पर मरते मरते..!!

मौत की हिम्मत कहां थी मुझसे टकराने की,  कमबख्त ने मोहब्बत को मेरी सुपारी दे डाली..!!

तुम आओ और कभी दस्तक तो दो इस दिल पर,  प्यार उम्मीद से कम हो तो सज़ा-ऐ-मौत दे देना..!!

मिल जाएँगे कुछ हमारी भी तारीफ़ करने वाले,  कोई हमारी मौत की अफवाह तो उड़ाओ यारों..!!

साज़-ए-दिल को महकाया इश्क़ ने,  मौत को ले कर जवानी आ गई..!!

मौत से क्या डर मिनटों का खेल है,  आफत तो ज़िन्दगी है जो बरसो चला करती है..!!

एक मुर्दे ने क्या खूब कहा है,  ये जो मेरी मौत पर रो रहे है,   अभी उठ जाऊं तो जीने नहीं देंगे..!!

करूँ क्यों फ़िक्र मौत के बाद जगह कहाँ मिलेगी,  जहाँ होगी दोस्तों की महफिलें,   मेरी रूह वहाँ मिलेगी..!!

सुना है मौत एक पल की भी मोहलत नहीं देती,  मैं अचानक मर जाऊ तो मुझे माफ़ कर देना..!!

वफ़ा सीखनी है तो मौत से सीखो, जो एक बार अपना बना ले फिर किसी का होने नहीं देती..!!

कहाँ ढूंढोगे मुझको,  मेरा पता लेते जाओ, एक कब्र नई होगी उस पर जलता दिया होगा..!!

शिकायत मौत से नहीं अपनों से थी मुझे, जरा सी आँख बंद क्या हुई वो कब्र खोदने लगे..!!

ना जाने मेरी मौत कैसी होगी, पर ये तो तय है की तेरी बेवफाई से तो बेहतर होगी..!!

ऐ मौत ठहर जा तू जरा मुझे यार का इंतज़ार है, आएगा वो जरूर अगर उसे मुझसे सच्चा प्यार है..!!

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई, तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं..!!

जब जान प्यारी थी तब दुश्मन हजार थे, अब मरने का शौक है तो कातिल नहीं मिलते..!!

ले रहा है तू खुदाया इम्तेहाँ दर इम्तेहाँ, पर स्याही ज़िन्दगी की खत्म क्यूँ होती नहीं..!!

ऐ अजल तुझसे यह कैसी नादानी हुई, फूल वो तोड़ा चमन भर में वीरानी हुई..!!

तुम्हारा दबदबा खाली तुम्हारी ज़िन्दगी तक है, किसी की क़ब्र के अन्दर जमींदारी नहीं चलती..!!

मिल जाएँगे कुछ हमारी भी तारीफ़ करने वाले, कोई हमारी मौत की अफवाह तो उड़ाओ यारों..!!

तेरी ही जुस्तजू में जी लिया इक ज़िंदगी मैंने, गले मुझको लगाकर खत्म साँसों का सफ़र कर दे..!!

न मौत आती है न कोई दवा लगती है ऐ खुदा, न जाने उसने इश्क में कौन सा जहर मिलाया था..!!

मुझे आज भी यकीन है कि तु एक दिन लौटकर आयेगा, चाहे वो दिन मेरी मौत का ही क्यों ना हो..!!

हर एक साँस का तू एहतराम कर वरना, वो जब भी चाहे,  जहाँ चाहे आखिरी कर दे..!!

पता नहीं कौन सा जहर मिलाया था तुमने मोहब्बत में, ना जिंदगी अच्छी लगती है और ना ही मौत आती है..!!

न उड़ाओ यूं ठोकरों से मेरी खाके-कब्र ज़ालिम, यही एक रह गई है मेरे प्यार की निशानी..!!

हद तो ये है कि मौत भी तकती है दूर से, उसको भी इंतजार मेरी खुदकुशी का है..!!

जहर पीने से कहाँ मौत आती है, मर्जी खुदा की भी चाहिए मौत के लिए..!!

अंतिम शब्द

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