अलिफ लैला – ( Part 1 ) कमरुज्जमां और बदौरा की कहानी

अलिफ लैला - ( Part 1 ) कमरुज्जमां और बदौरा की कहानी

शहरजाद ने बादशाह शहरयार को कमरुज्जमां और बदौरा की कहानी सुनानी शुरू की। उसने बताया कि फारस देश के पास ही खलदान राज्य था, जिस पर शाहजमां नाम के बादशाह की हुकूमत थी। बादशाह के पास सबकुछ था, बस एक संतान न थी। इसी बात से बादशाह हमेशा दुखी रहता था। बादशाह के दुख को देखकर उसके राज्य के कुछ विद्वानों ने सलाह दी कि उसे दान-पुण्य करना चाहिए और ईश्वर से संतान पाने की फरियाद करनी चाहिए।

इसके बाद राजा सालों तक संतान की चाह में दान-पुण्य करता रहा और एक दिन भगवान ने उसकी सुन ली। बादशाह की पत्नी को गर्भ ठहरा और कुछ समय बाद उसने एक खूबसूरत बेटे को जन्म दिया। बेटे के जन्म की खुशी में महल में खूब जश्न मनाया गया और बादशाह ने बेटे का नाम कमरुज्जमां रखा। बादशाह ने उसे खूब पढ़ाया-लिखाया और युद्ध कौशल की शिक्षा भी दिलाई।

जब कमरुज्जमां जवान हुआ, तो पिता ने चाहा कि उसका विवाह कराकर उसे राज्य भार दे दिया जाए। मगर, परेशानी यह थी कि उसका बेटा विवाह करना ही नहीं चाहता था। इसलिए जब बादशाह ने अपने बेटे के सामने विवाह की बात रखी तो उसने इस बात से साफ इनकार कर दिया। इसपर उसकी मां ने कमरुज्जमां को काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं माना। गुस्से में बादशाह ने कमरुज्जमां को महल से दूर एक काल कोठरी में बंद करा दिया। उसी काल कोठरी में कमरुज्जमां के लिए खाने-पीने का इंतजाम कर दिया गया। साथ ही पढ़ने के लिए कुछ किताबे भी भिजवा दी गईं। मगर, शहजादे पर इसका कोई असर नहीं हुआ, शहजादा अपने आप में ही खुश था।

जिस काल कोठरी में शहजादे को बंद किया गया, उसी काल कोठरी के पास एक कुआं बना हुआ था। उस कुएं में मैमून नाम की एक परी रहती थी। हर रात की तरह जब परी कुएं से निकलकर बाहर घूमने जा रही थी। तभी उसकी नजर वहां मौजूद सैनिकों पर पड़ी। उसने पास जाकर देखा, तो सैनिक बंद पड़ी काल कोठरी के बाहर पहरा दे रहे थे। काल कोठरी पर बाहर से ताला भी लगा हुआ था। परी ने इससे पहले वहां किसी को भी नहीं देखा था, इसलिए परी अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर उस कमरे में चली गई। वहां उसने कमरुज्जमां को सोते हुए देखा। उसकी सुंदरता को देख परी मोहित हो गई। परी ने इससे पहले कभी इतना सुंदर युवक नहीं देखा था।

परी ने सैनिकों की बातों से अनुमान लगा लिया कि यह बादशाह का बेटा है और शादी से इनकार के कारण उसे यह सजा दी गई है। वह सोच में पड़ गई कि आखिर, क्या वजह होगी! जो इतना सुंदर शहजादा शादी ही नहीं करना चाहता। यह सोचते हुए परी आसमान में उड़ गई। तभी उसे अपने पीछे किसी और के होने का एहसास हुआ। परी एकदम से पीछे मुड़ी और पूछा कौन है? तभी एक जिन्न उसके सामने आया। उसने परी से कहा कि मैं जिन्न नहस हूं। तब परी ने पूछा, “तुम इतनी तेजी से कहा जा रहे हो।”

जिन्न नहस ने परी को बताया कि चीन के एक राज्य के बादशाह गोर हैं, जिनकी बेटी का नाम बदौरा है। वह बड़ी सुंदर है। शायद ही दुनिया में कोई दूसरा उस जैसा खूबसूरत होगा। सब उस शहजादी से शादी करना चाहते हैं, लेकिन उसे किसी से शादी ही नहीं करनी है। शादी के लिए उसके बार-बार मना करने से परेशान होकर उसके माता-पिता ने उसे एक अंधेरे कमरे में बंद करा दिया है। मैं उसे ही देखने जा रहा हूं।

इतना सुनते ही मैमून परी ने जिन्न से कहा कि कुछ ऐसा ही एक शहजादे के साथ भी हुआ है। उसे पास में ही एक कमरे में बंद करके रखा गया है। वो उस लड़की से कहीं ज्यादा सुंदर है। तुम बेकार में ही पराए देश की लड़की की तारीफ कर रह हो। जिन्न ने जवाब देते हुए कहा, “ अगर तुम्हें इतना यकीन है, तो दिखाओ मुझे वो कैसा दिखता है। परी उस जिन्न को सीधे शहजादे के पास ले गई।

शहजादे को देखते ही जिन्न ने कहा कि दोनों में ज्यादा सुंदर कौन है, इसका फैसला करने के लिए दोनों को एक साथ देखना होगा। इतना कहकर जिन्न जादू से पल भर में चीन की उस काल कोठरी में पहुंच गया, जहां शहजादी को बंद किया गया था। कुछ ही देर में जिन्न ने सोती हुई शहजादी को लाकर शहजादे के बगल में लिटा दिया।

दोनों को देखकर परी ने कहा कि शहजादा ज्यादा सुंदर है और जिन्न ने गोर बादशाह की बेटी बदौरा को अधिक खूबसूरत बताया। जब देर तक कोई फैसला नहीं हुआ, तो दोनों एक दूसरे से बहस करने लगे। तभी शहजादे की नींद खुली और अपने पास एक खूबसूरत लड़की को देखकर वो हैरान रह गया। उसने मन ही मन सोचा कि शायद यह वही लडकी है, जिससे उसके पिता उसकी शादी कराना चाहते हैं। यह सोचकर शहजादे को अपने फैसले पर पछतावा हुआ।

कुछ देर शहजादा उस लड़की को यूं ही देखता रहा, तभी उसकी नजर लड़की के हाथ पर पड़ी। लड़की ने हाथ में नीले रंग की एक खूबसूरत अंगूठी पहन रखी थी। कमरुज्जमां ने उस लड़की से शादी करने का फैसला किया और लड़की की अंगूठी से अपनी हीरे की अंगूठी बदल ली।

अंगूठी बदलते ही शहजादा फिर से गहरी नींद में चला गया और तब लड़की की नींद खुली। बदौरा ने जब कमरुज्जमां को अपने बगल में देखा तो वह भी हैरान रह गई। शहजादे की सुंदरता और खूबसूरती ने उसे भी मोह लिया और वह भी मन ही मन खुद को कोसने लगी कि आखिर क्यों उसने शादी से इनकार किया। उसने सोचा शायद यही वो शहजादा है, जिसे पिता ने मेरे लिए चुना था।

तभी अचानक बदौरा की नजर अपने हाथ में मजूद हीरे की अंगूठी पर पड़ी, यह उसकी अंगूठी नहीं थी। यह देख कर उसे और भी हैरानी हुई। इस पर उसने शहजादे का हाथ देखा तो शहजादे के हाथ में उसे अपनी नीली अंगूठी दिखी। उसे लगा कि शायद बेहोशी में ही माता-पिता ने इस सुंदर लड़के से मेरी शादी करा दी है। यह सोचते-सोचते अचानक शहजादी भी बेहोश होकर गहरी नींद में चली जाती है।

उधर बहस करते-करते परी और जिन्न भी थक चुके थे। इसलिए उन्होंने बदौरा को वापस उसकी काल कोठरी में ले जाने का फैसला किया। फिर क्या था, जिन्न ने जादू किया और पल भर में परी और जिन्न शहजादी को लेकर उस काल कोठरी में पहुंच गए, जहां शहजादी को बंद करके रखा गया था। दोनों ने शहजादी को काल कोठरी में ठीक वैसे ही लिटा दिया जैसे वह पहले सो रही थी। उसके बाद परी और जिन्न अपने-अपने रास्ते चल देते हैं।

अगली सुबह जब कमरुज्जमां जगा तो उसे वह लड़की नहीं दिखी, जो रात में उसके बगल में सोई हुई थी। इस पर शहजादा बेचैन हो जाता है और सोचता है कि उसके पिता ने उसके जागने से पहले ही शायद शहजादी को बुलवा लिया होगा। इस ख्याल के साथ शहजादा सैनिकों से उस लड़की के बारे में पूछता है। मगर, सभी सैनिक किसी भी लड़की के वहां आने से इनकार कर देते हैं। सैनिकों की बात सुनकर शहजादा आपा खो देता है और सैनिकों को मारने पीटने लगता है।

जब इस बी आत की खबर बादशाह को होती है तो वह भी हैरान रह जाते हैं और हकीकत जानने के लिए बेटे से मिलने पहुंच जाते हैं। कमरुज्जमां से बात करके बादशाह उसे बहुत समझाने की कोशिश करते हैं कि वहां कोई भी लडकी नही आई और न ही उन्होंने किसी लड़की को उसके पास भेजा था। बादशाह शहजादे से कहते हैं, “बेटा तुमने जरूर कोई सपना देखा होगा”। मगर, शहजादा मानने को तैयार न था कि जो कुछ भी रात को हुआ वह एक सपना था। थक हारकर बादशाह अपने सेवकों से कहते हैं, “जाओ, किसी हकीम को लेकर आओ। लगता है कि शहजादे की तबीयत ज्यादा ही बिगड़ गई है।”

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