Best 100+ Rahat Indori Shayari in Hindi || Rahat Indori Shayari || राहत इंदौरी शायरी

Rahat Indori Shayari in Hindi
Rahat Indori Shayari in Hindi

नमस्कार दोस्तों, ✍️ Dynamo Shayari में आपका हार्दिक स्वागत है। मैं हूँ आपका प्यारा दोस्त विकास यादव। तो मेरे प्यारे दोस्तों आज की पोस्ट में हम बात करने जा रहे हैं –  Rahat Indori Shayari in Hindi, Rahat Indori Shayari, राहत इंदौरी शायरी हिंदी, राहत इंदौरी शायरी हिंदी में, राहत इंदौरी की। तो चलिए शुरू करते हैं।

Rahat Indori Shayari in Hindi

सफ़र की हद है वहाँ तक की कुछ निशान रहे, चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे, ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल, मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे।

है सादगी में अगर यह आलम, के जैसे बिजली चमक रही है, जो बन संवर के सड़क पे निकलो, तो शहर भर में धमाल कर दो।

अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ, ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ, फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया, ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।

अब ना मैं हूँ,  ना बाकी हैं ज़माने मेरे, फिर भी मशहूर हैं,  शहरों में फ़साने मेरे।

हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं, मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं, जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं खामोशी, जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफान कहते हैं।

साँसे हैं हवा दी है, मोहब्बत है वफ़ा है, यह फैसला मुश्किल है कि हम किसके लिए हैं, गुस्ताख ना समझो तो मुझे इतना बता दो, अपनों पर सितम है तो करम किसके लिए हैं।

ये दुनिया है इधर जाने का नईं, मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर, मगर हद से गुजर जाने का नईं।

कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं, कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं, ये केचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी, की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।

आग के पास कभी मोम को लाकर देखूँ, हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूँ, दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है, सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूँ।

ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था, मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था।

सरहदों पर तनाव हे क्या, ज़रा पता तो करो चुनाव हैं क्या, शहरों में तो बारूदो का मौसम हैं, गाँव चलों अमरूदो का मौसम हैं।

कही अकेले में मिलकर झंझोड़ दूँगा उसे, जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे, मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का, इरादा मैंने किया था की छोड़ दूँगा उसे।

छू गया जब कभी ख़याल तेरा, दिल मेरा देर तक धड़कता रहा, कल तेरा जिक्र छिड़ गया था घर में, और घर देर तक महकता रहा।

रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं, चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं, उसकी याद आई हैं सांसों,  जरा धीरे चलो, धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं।

शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए, ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए।

लवे दीयों की हवा में उछालते रहना, गुलो के रंग पे तेजाब डालते रहना, में नूर बन के ज़माने में फ़ैल जाऊँगा, तुम आफताब में कीड़े निकालते रहना।

जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं, जो लोग भूल नहीं करते,  भूल करते हैं, अगर अनारकली हैं सबब बगावत का, सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं।

अब ना मैं हूँ,  ना बाकी हैं ज़माने मेरे​, फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​, ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​, अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।

विश्वास बन के लोग ज़िन्दगी में आते है, ख्वाब बन के आँखों में समा जाते है, पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है, फिर न जाने क्यों बदल जाते है।

सूरज,  सितारे,  चाँद मेरे साथ में रहें, जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें, शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम, आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें।

लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के सँभलते क्यूँ हैं, इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं।

मेरी सांसों में समाया भी बहुत लगता है, और वही शख्स पराया भी बहुत लगता है, उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन, आने जाने में किराया भी बहुत लगता है।

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो, ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो, एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो, दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।

ये सहारा जो नहीं हो तो परेशान हो जाएँ, मुश्किलें जान ही लेलें अगर आसान हो जाएँ, ये जो कुछ लोग फरिश्तों से बने फिरते हैं, मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएँ तो इंसान हो जाएँ।

फैसला जो कुछ भी हो,  हमें मंजूर होना चाहिए, जंग हो या इश्क हो,  भरपूर होना चाहिए, भूलना भी हैं,  जरुरी याद रखने के लिए, पास रहना है,  तो थोडा दूर होना चाहिए।

तुम ही सनम हो,  तुम ही खुदा हो, वफा भी तुम हो तुम,  तुम ही जफा हो, सितम करो तो मिसाल कर दो, करम करो तो कमाल कर दो।

धनक है,  रंग है,  एहसास है की खुशबू है, चमक है,  नूर है,  मुस्कान है के आँसू है, मैं नाम क्या दूं उजालों की इन लकीरों को, खनक है,  रक्स है,  आवाज़ है की जादू है।

प्यार के उजाले में गम का अँधेरा क्यों है, जिसको हम चाहे वही रुलाता क्यों है, मेरे रब्बा अगर वो मेरा नसीब नहीं तो, ऐसे लोगो से हमे मिलता क्यों है।

मैं एक गहरी ख़ामोशी हूँ आ झिंझोड़ मुझे, मेरे हिसार में पत्थर-सा गिर के तोड़ मुझे, बिखर सके तो बिखर जा मेरी तरह तू भी, मैं तुझको जितना समेटूँ तू उतना जोड़ मुझे।

फैसला जो कुछ भी हो, मंज़ूर होना चाहिए, जंग हो या इश्क़ हो,  भरपूर होना चाहिए।

जहाँ से गुजरो धुआं बिछा दो, जहाँ भी पहुंचो धमाल कर दो, तुम्हें सियासत ने हक दिया है, हरी जमीनों को लाल कर दो।

किसने दस्तक दी है दिल पर कौन है, आप तो अंदर हैं, बाहर कौन है।

जो छेड़ दे कोई नगमा तो खिल उठें तारे, हवा में उड़ने लगी रोशनी के फव्वारे, आप सुनते ही नजरों में तैर जाते हैं, दुआएं करते हुए मस्जिदों के मीनारें।

अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको, वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं, मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था, मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।

शहरों में तो बारुदों का मौसम है, गांव चलो अमरूदों का मौसम है, सूख चुके हैं सारे फूल फरिश्तों के, बागों में नमरूदों का मौसम है।

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे, पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे, उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद, और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।

तुम्हें किसी की कहाँ है परवाह, तुम्हारे वादे का क्या भरोसा, जो पल की कह दो तो कल बना दो, जो कल की कह दो तो साल कर दो।

जा के ये कह दो कोई शोलो से,  चिंगारी सेफूल इस बार खिले है बड़ी तय्यारी से, बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए, हमने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से।

कम नहीं हैं मुझे हमदमों से, मेरा याराना है इन गमों से, मैं खुशी को अगर मुंह लगा लूं, मेरे यारों का दिल टूट जाए।

इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए, तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए, फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर, गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए।

यही ईमान लिखते हैं,  यही ईमान पढ़ते हैं, हमें कुछ और मत पढवाओ,  हम कुरान पढ़ते हैं, यहीं के सारे मंजर हैं,  यहीं के सारे मौसम हैं, वो अंधे हैं,  जो इन आँखों में पाकिस्तान पढ़ते हैं।

दिलों में आग,  लबों पर गुलाब रखते हैं, सब अपने चहेरों पर,  दोहरी नकाब रखते हैं, हमें चराग समझ कर भुझा ना पाओगे, हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं।

जा के ये कह दे कोई शोलों से चिंगारी से इश्क़ हैफूल इसबार खिलेगी बड़ी तैयारी हैमुदात्तो क बाद यु तब्दिल हुआ है मौसम, जैसे छुटकारा मिली हो बीमारी से।

आग के पास कभी मोम को लाकर देखूँ, हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूँ, दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है, सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूँ।

नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं, कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं, जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते, सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं।

तेरी हर बात ​मोहब्बत में गँवारा करके​, दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके​, ​मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी​, ​​​तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।

कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं, कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं, यह क्या हमें उड़ने से खाक रोकेंगे, कि हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।

मेरी ख्वाहिश है कि आंगन में न दीवार उठे, मेरे भाई,  मेरे हिस्से की जमीं तू रख ले, कभी दिमाग,  कभी दिल,  कभी नजर में रहो, ये सब तुम्हारे घर हैं,  किसी भी घर में रहो।

साँसों की सीडियों से उतर आई जिंदगी, बुझते हुए दिए की तरह जल रहे हैं हम, उम्रों की धुप,  जिस्म का दरिया सुखा गई, हैं हम भी आफताब,  मगर ढल रहे हैं हम।

तन्हाई ले जाती है जहाँ तक याद तुम्हारी, वही से शुरू होती है ज़िन्दगी हमारी, नहीं सोचा था चाहेंगे हम तुम्हे इस कदर, पर अब तो बन गए हो तुम किस्मत हमारी।

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