जीवन बीमा पॉलिसी पर टैक्स में कमी चाहती हैं इंश्योरेंस कंपनियां
जीवन बीमा पॉलिसी पर टैक्स में कमी चाहती हैं इंश्योरेंस कंपनियां
आगामी बजट से देश की जीवन बीमा इंडस्ट्री काफी आस लगाए बैठी है. वह जीवन बीमा पॉलिसी पर टैक्स में कमी चाहती है. उसकी मांग है कि इन प्रोडक्टों को अलग नजरिये से देखा जाना चाहिए. कोरोना की महामारी के बीच ऐसी इंश्योरेंस पॉलिसी की जरूरत बढ़ी है. ईटी को दो सूत्रों ने इसकी जानकारी दी.
बीमा कंपनियाें का प्रतिनित्व करने वाली लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल ने वित्त मंत्रालय को अपनी मांगों से अवगत कराया है. उसने आगामी बजट में जीवन बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी की दर घटाने का सुझाव दिया है. उसका कहना है कि इसे 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी के स्लैब में लाना चाहिए. इसके पीछे उसने दलील दी है कि ये लग्जरी कंपम्पशन आइटम नहीं हैं.
सूत्रों ने बताया कि काउंसिल के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल में बीमा नियामक इरडा और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की. इसमें उसने प्रोटेक्शन-बेस्ड प्रोडक्टों पर मौजूदा टैक्स दरें कम करने के लिए कहा. उसने मांग की कि इन्हें 5 फीसदी के न्यूनतम स्लैब में होना चाहिए.
बीमा कंपनी के एक एग्जीक्यूटिव ने बताया कि कोरोना की महामारी के बाद लाइफ इंश्योरेंस को लेकर लोगों की धारणा बदली है. इसकी मांग में भी इजाफा हुआ है. पहले लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते थे. सुरक्षा से जुड़े उत्पादों को अलग नजरिये से देखने की जरूरत है. यह मांग नई नहीं है. लेकिन, कोविड को देखते हुए इंडस्ट्री ने अपनी मांग फिर दोहराई है.
इस बारे में लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला है. इंडस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि इरडा ने सितंबर में लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर खुद टैक्स दरें घटाने की मांग की थी. जीएसटी काउंसिल की 43वीं बैठक से पहले उसने ऐसा किया था.
रेट में बदलाव के लिए कुछ चीजों की जरूरत होगी. इस प्रस्ताव पर राज्य और केंद्र के प्रतिनिधित्व के साथ फिटमेंट कमेटी की मंजूरी लेनी होगी. फिर अंतिम मंजूरी के लिए इसे जीएसटी काउंसिल के पास भेजना होगा. मामले से जुड़े एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि ऐसे प्रस्ताव में अभी कई अड़चनें हैं. इसकी वजह यह है कि सरकार अपने राजस्व को बढ़ाने पर फोकस कर रही है. लिहाजा, शायद ही वह इस दिशा में आगे बढ़े.
एक प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी के सीईओ ने बताया कि वह इसे लेकर तो कुछ नहीं कह सकते हैं कि इस प्रस्ताव को मंजूरी किया जाएगा या नहीं. लेकिन, यह काफी जायज मांग है.