अलिफ लैला – ( Part 4 ) कमरुज्जमां और बदौरा की कहानी

अलिफ लैला - ( Part 4 ) कमरुज्जमां और बदौरा की कहानी

जहाज के कप्तान ने तुरंत कमरुज्जमां को पकड़कर जबरदस्ती जहाज पर बैठा दिया। शहजादा चिल्लाता रहा कि मुझे क्यों इस तरह से जहाज पर चढ़ा रहे हो। तब उसने कहा कि तुम पर अवौनी राज्य का काफी कर्ज है, इसलिए वहां के मंत्री ने तुम्हें तुरंत बुलाया है। उसने जहाज के कप्तान को बार-बार कहा कि मैंने किसी से कोई कर्ज नहीं लिया है, लेकिन उसने उसकी एक बात नहीं सुनी। कुछ दिनों बाद जहाज अवौनी पहुंच गया।

कप्तान ने कमरुज्जमां को ले आने का पैगाम महल में भिजवाया। यह खबर मिलते ही पुरुष के रूप में बदौरा वहां पहुंच गई। उसने जैसे ही कमरुज्जमां को देखा वह खुश हो गई, लेकिन उसने खुद को संभाला और जहाज के कप्तान को खूब सारा इनाम देकर सभी व्यापारियों के साथ विदा किया।

कमरुज्जमां ने अपनी पत्नी को पुरुष रूप में नहीं पहचाना। बदौरा उसे अपने साथ महल में ले गई और सेवकों से कहकर उसे अच्छे कपड़े और खाने को शानदार भोजन दिलवाया। फिर बदौरा अपने स्त्री रूप में सजकर कमरुज्जमां के पास आई। अब कमरुज्जमां ने फौरन बदौर को पहचान लिया। उसकी आंखों से खुशी के कारण आंसू निकलने लगे। उसके बाद बदौरा ने अपना सारा हाल शहजादे को सुनाया और कमरुज्जमां ने भी अपने अब तक के सफर के बारे में बदौरा को जानकारी दी।

अगले दिन सुबह होते ही स्त्री रूप में बदौरा अवौनी देश के बादशाह अश्शम्स के पास गई। उसे बादशाह ने पहचाना नहीं। तभी बदौरा ने बादशाह को अपने पुरुष रूप और जंगल में पति के खोने की सारी कहानी सुनाई। बदौरा ने कहा कि आप मुझे चाहें, तो मृत्यु दंड दे सकते हैं। बस मेरा इरादा किसी को दुख पहुंचाने का नहीं था। मैंने सब कुछ विवश होकर किया। अब मुझे अपने पति मिल गए हैं, इसलिए मैंने आपको सब सच बता दिया है। आप अपनी बेटी की शादी मेरे पति से करवा सकते हैं। मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं होगी।

तभी कमरुज्जमां को बदौरा ने अवौनी देश के बादशाह अश्शम्स से मिलवाया। बादशाह भी सारी बात सुनकर अपनी बेटी की शादी कमरुज्जमां से करवाने के लिए राजी हो गए। बादशाह ने शादी की तारीख तय करने से पहले कमरुज्जमां से इसके बारे में पूछा। शहजादे ने कहा कि मेरा मन तो है कि मैं वापस अपने घर चला जाऊं। लेकिन, आप और मेरी पत्नी अगर चाहते हैं कि मैं विवाह करूं, तो मैं ऐसा ही करूंगा। फिर धूमधाम से बादशाह अश्शम्स ने अपनी बेटी और शहजादे कमरुज्जमां की शादी करवा दी।

थोड़े समय में दोनों के एक-एक पुत्र हो गए। दोनों को उनकी मां बहुत प्यार करती थी, लेकिन बेटे अपनी सौतेली मां को अधिक प्यार करते थे। इससे जलकर दोनों मांओं ने एक दूसरे को बदनाम करने की साजिश की। जब बेटों को यह पता चला, तो उन्हें बहुत गुस्सा आया। उन्होंने कहा कि वो पिता को सब कुछ बता देंगे। इससे परेशान होकर कमरुज्जमां की दोनों पत्नियों ने एक-दूसरे के बेटे के खिलाफ कमरुज्जमां से शिकायत करते हुए कहा कि आपके बेटों ने हमें बदनाम करने की कोशिश की है।

इस पर बिना सच्चाई जाने कमरुज्जमां ने दोनों बेटों अमजद और असद को मौत की सजा देने का ऐलान कर दिया। आदेश मिलते ही मंत्री शहजादों को जंगल ले गया और उन्हें बताया कि आप दोनों को मौत की जा दी गई है। दोनों भाइयों ने कहा कि जब पिता ने ऐसा कहा है, तो सोच समझकर ही कहा होगा। हमें सजा मंजूर है।

यह सुनकर मंत्री ने दोनों के हाथों को बांध दिया और अपनी तलवार निकाल ली। तलवार की चमक देखकर पास ही खड़ा घोड़ा हिनहिनाने लगा और तेजी से दूसरी दिशा में भागने लगा। मंत्री को लगा कि ये दोनों यही बंधे हैं, तो क्यों न पहले घोड़े को देख लूं। वह घोड़े के पीछे दौड़े और उनके सामने एक शेर आ गया। अमजद और असद दोनों दूर से यह सब देख रहे थे। उन्होंने जल्दी से रस्सी तोड़ी और असद ने मंत्री को शेर से बचा लिया व अमजद ने घोड़े को पकड़ लिया।

फिर असद और अमजद ने मंत्री को कहा कि अब हमें बांधकर मौत की सजा दे दीजिए। इस पर मंत्री ने रोते हुए कहा कि आप दोनों ने मेरी जान बचाई, तो मैं आप लोगों को कैसे मार सकता हूं। आप दोनों यहां से किसी दूसरे देश चले जाइए। मैं आपके कुछ कपड़ों को शेर के खून से लतपत करके बादशाह को दिखा दूंगा। दोनों भाइयों ने ऐसा ही किया और जंगल में भटकते-भटकते नदी के रास्ते से एक नए देश में पहुंच गए।

वहीं मंत्री भी शेर के खून में लतपत कपड़े लेकर बादशाह के पास पहुंचा। अपने बच्चों के मरने की खबर सुनकर बादशाह दुखी हो गया। तभी उन्हें पता चला कि उसकी दोनों पत्नियों ने ही एक दूसरे को बदनाम करने के लिए पत्र लिखा था और फिर इल्जाम उसके बेटों पर लगा दिया। इस बात पर बादशाह को बहुत गुस्सा आया और उसने अपनी दोनों पत्नियों को जेल में डाल दिया।

उधर नए देश पहुंचे असद और अमजद ने यह तय किया कि पहले एक व्यक्ति आगे जाकर किसी से मदद मांगेगा। फिर दूसरा उसके बुलावे पर ही आगे आएगा। यह तय करके असद आगे को बढ़ा। तभी उसे एक बूढ़े ने अपनी बातों में फंसाकर बंदी बना लिया, क्योंकि उसे बलि के लिए एक आदमी चाहिए था। रोज दो लड़कियां जेल में जाकर असद उसकी पिटाई करती और खाने के लिए दिनभर में सिर्फ दो रोटी देतीं।

असद का पूरे एक दिन इंतजार करने के बाद अमजद आगे बढ़ा। उसे लगा कि उसका भाई मुसीबत में है। उसने एक दर्जी से पूछा कि क्या आपने मेरे भाई को यहां देखा है, वो मेरे जैसे ही कपड़ों में कल इधर आया होगा। दर्जी ने कहा कि हो सकता है कि तुम्हारा भाई उस बुढ़े के हाथ लग गया हो। वो सभी परदेसियों को अपनी बातों में फंसाकर बलि चढ़ाने के लिए ले जाता है।

अमजद ने फिर उससे पूछा कि यहां से अवौनी राज्य कितना दूर है। उन्होंने कहा करीब पांच महीने लग सकते हैं। यह सोचते हुए अमजद आगे जा रहा था कि उस नगर के बादशाह के सैनिकों ने उसे पकड़ लिया। बादशाह ने अमजद से पूछा कि वो इस राज्य में कैसे पहुंचा। उसने बादशाह को अपनी पूरी कहानी सुना दी। उसकी कहानी सुनकर बादशाह बहुत प्रभावित हुए और कहा कि तुम्हें तुम्हारे पिता ने ही मरवाने के आदेश दिए। अब हम तुम्हें यहां अपना बेटा बनाकर रखेंगे और तुम्हारे भाई को ढूंढने में भी मदद करेंगे।

बादशाह ने अमजद को अपना बेटा मानने के बाद उसे मंत्री पद दे दिया और सारी जगह एलान करवा दिया कि जो भी असद के बारे में बताएगा, उसे खूब सारा इनाम दिया जाएगा। कई सारे जासूस और सैनिक भेजकर असद को ढूंढने की कोशिश की गई, लेकिन असद का कोई पता नहीं चल पाया। असद रोज उन दो लड़कियों की मार खाता और रोते हुए सो जाता। धीरे-धीरे उसके बलि चढ़ाने का दिन भी नजदीक आ गया।

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